Thursday, June 25, 2020

मानव नेत्र

मानव नेत्र (Human Eye)


नेत्र के मुख्य भाग 

कॉर्निया (Cornea)

यह नेत्र का अग्र पारदर्शी भाग है तथा इसमें होकर प्रकाश की किरणे नेत्र में प्रवेश करती है ।कॉर्निया को नेत्र का द्वारक भी कहा जाता  है

परितारिका और पुतली (Iris and Pupil)

परितारिका एक वृताकार पर्दा होता है जिसके केंद्र में एक छिद्र होता है , इस छिद्र को पुतली कहते है ।वृताकार पर्दे में माँसपेशियाँ होती है तथा रंगीन वर्णन होते है । नेत्र का रंग इन वर्णकों के रंग पर निर्भर करता है

  परितारिका का कार्य पुतली से होकर नेत्र में प्रवेश करने वाले प्रकाश को नियंत्रित करना है

लेंस (Lens)

यह एक उभयोत्तल लेंस की तरह कार्य करता है तथा यह लचीले पारदर्शी तंतुओं  से मिलकर बना होता है ।यह पुतली के पीछे होता है तथा सिलियरी माँसपेशियों के मध्य स्थित होता है ।

रेटिना (Retina)

यह वस्तुओं के प्रतिबिम्ब बनाने में एक पर्दे की तरह कार्य करता है ।इसमें विशेष प्रकाश के कोष बने होते है जो प्रकाश के प्रति संवेदनशील होते है ।यह कोष प्रकाश ऊर्जा को तंतु संवेग में या संकेतों में बदल देते है ।

प्रकाश कोषों में दो मुख्य संरचनाएँ शंकु (cones) तथा छड़े (Rods) होती है  । शंकु का कार्य प्रकाश के रंग का पता लगाना होता है तथा छड़ों का कार्य प्रकाश की तीव्रता का पता लगाना है

प्रकाशिक तंत्रिकायें ( Optic Nerves)

प्रकाशिक तंत्रिकायें, तंत्रिका तन्तुओं से बनी होती है जो रेटिना से आती है  ।यह तंत्रिका संकेतों को मस्तिष्क तक ले जाती है ।अंततः मस्तिष्क इन संकेतों की व्याख्या करता है तथा हमे वस्तु दिखाई देती है

महत्वपूर्ण बिंदु 

  •      नेत्र की वह क्षमता जिसके कारण नेत्र लेंस की फोकस दूरी में परिवर्तन कर   दूर और नजदीक कीवस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है, नेत्र की   समंजन क्षमता कहलाती है 
  •       अंध बिंदु(Blind Spot) से प्रकाशिक तंत्रिकायें मस्तिष्क को जाती है ।यह बिंदु   प्रकाश के लिए सुग्राही नहीं है
  •         पीत बिंदु(Yellow Point) रेटिना का सबसे सुग्राही भाग है इस पर बना   प्रतिबिम्ब बहुत स्पष्ट होता है
  •          नेत्र से वह अधिकतम दूरी जिस पर रखी वस्तु का नेत्र की रेटिना पर स्पष्ट   प्रतिबिम्ब बन जाए, उसे दूर बिंदु कहते है ।एक सामान्य नेत्र के लिए यह दूरी   अनंत होती है
  •        नेत्र से वह निकटतम दूरी जिस पर रखी वस्तु का नेत्र की रेटिना पर स्पष्ट   प्रतिबिम्ब बन जाए, उसे निकट बिंदु कहते है ।एक सामान्य नेत्र के लिए यह   दूरी 25 cm होती है ।इस दूरी का स्पष्ट दर्शन की न्यूनतम दूरी( Least   Distance of Distinct Vision ) कहते है ।
  •         दृष्टि परास (Range of vision) ---- 25 cm to
  •        दृष्टि निर्बंध  (Persistence of vision)  ---- 0.1 sec. होता है , अर्थात यदि   दो क्रमागत प्रकाश स्पन्दों के बीच समयांतराल 0.1 sec  है तो नेत्र इन्हे   अलग -अलग नहीं देख सकती
  •          दोनों नेत्र से देखना द्विनेत्री दृष्टि (Binocular vision )कहलाता है
  •       दो वस्तुओं के बीच वन न्यूनतम कोणीय विस्थापन ताकि उन्हें ठीक   विभेदित किया जा सके, विभेदन सिमा कहलाती है  ।नेत्र के लिए यह 1   min. या ( "1" /"60"  )°.
दृष्टि दोष 

    1. निकट दृष्टि दोष (Myopia or short sightedness)

    2. दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long sightedness)

    3. जरा दृष्टि दोष (Presbyopia)

    4. अबिंदुकता (Astigmatism)

निकट दृष्टि दोष (Myopia or Short sightedness)

यदि मानव नेत्र से निकट स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है परन्तु दूर स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है तो वह नेत्र निकट दृष्टि दोष से पीड़ित मानी जाती है

प्रतिबिम्ब रेटिना से पहले बनता है । दूर बिंदु निकट आ जाता है ।

कारण  :-

  •               नेत्र गोलक के आकार का सामान्य से अधिक होना
  •               नेत्र लेंस की फोकस दूरी कम होना या कॉर्निया का अधिक वक्र होना
  •               लेंस व् रेटिना के बीच की दूरी बढ़ जाती है  

निवारण

उचित फोकस दूरी के अवतल लेंस का उपयोग करने पर


दूर दृष्टि दोष (Hypermetropia or long sightedness)

यदि मानव नेत्र से दूर  स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से देखा जा सकता है परन्तु निकट स्थित वस्तुओं को स्पष्ट रूप से नहीं देखा जा सकता है तो वह नेत्र दूर दृष्टि दोष से पीड़ित मानी जाती है ।

प्रतिबिम्ब रेटिना के पीछे बनता है । निकट बिंदु दूर हो जाता है

कारण :-

  •               नेत्र गोलक के आकार का सामान्य से छोटा होना
  •               नेत्र लेंस की फोकस दूरी बढ़ जाना
  •               लेंस व् रेटिना के बीच की दूरी कम हो  जाती है 

निवारण

उचित फोकस दूरी के उत्तल  लेंस का उपयोग करने पर

जरा दृष्टि दोष (Presbyopia)

इस दोष से पीड़ित व्यक्ति को न तो निकट की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती है और न ही दूर की वस्तुएँ स्पष्ट दिखाई देती है ।

कारण :-

बुढ़ापे में नेत्र की समंजन क्षमता कम हो जाने के कारण यह दोष उत्प्न्न हो जाता है

निवारण :-

इसके निवारण के लिए द्विफोकसी लेंसों (bifocal lens )का उपयोग करते है   ।

अबिंदुकता (Astigmatism)

इस दोष से पीड़ित नेत्र ऊर्ध्वाधर (Vertical) एवं क्षैतिज (Horizontal) रेखाओं को एक साथ नहीं देख पाती है ।

कारण :-

इस दोष का कारण कॉर्निया का पूर्णतः गोलीय न होना है तथा उसकी क्षैतिज एवं ऊर्ध्वाधर तलों में वक्रता त्रिज्याओं का भिन्न- भिन्न होना है ।

निवारण :-

इस दोष के निवारण के लिए बेलनाकार लेंसों (Cylindrical lens )का उपयोग करते है ।

vयह दोष निकट दृष्टि दोष तथा दूर दृष्टि दोष के साथ हो सकता है ।


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