- विधुत आवेश दो प्रकार के होते है तथा दोनों की प्रकृति एक दूसरे के विपरीत होती है ।
- सामान्य अवस्था में प्रत्येक परमाणु में इलेक्ट्रानो की संख्या उसके नाभिक में उपस्थित प्रोट्रानो की संख्या के बराबर होती है इसलिए परमाणु विधुत रूप से उदासीन होता है । परमाणु की विधुत - उदासीनता को समाप्त करके आवेशित कणो को उत्पन्न किया जा सकता है । इलेक्ट्रॉनों की कमी वस्तु को धनावेश एवं अधिकता ऋणावेश प्रदान करती है ।
- समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को प्रतिकर्षित (विकर्षित ) करते है एवं आसमान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते है । कोई आवेशित कण किसी उदासीन बिंदु को या विपरीत आवेशित कण को आकर्षित करता है लेकिन समान आवेशित कण को यह हमेशा प्रतिकर्षित करता है ।अतः प्रतिकर्षण विधुत का प्रमाणित परीक्षण है ।
एक स्थिर आवेश अपने चारो ओर केवल विधुत क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि गतिमान आवेश विधुत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र दोनों उत्पन्न करता है । यदि आवेश नियत वेग से गतिमान हो तो यह केवल विधुत क्षेत्र एवं चुंबकीय क्षेत्र उत्पन्न करता है जबकि त्वरित आवेश विधुत क्षेत्र , चुंबकीय क्षेत्र एवं विधुत चुंबकीय विकिरण उत्सर्जित करता है ।
किसी भी चालक को दिया गया आवेश सदैव उसकी बाहरी सतह पर रहता है ।अर्थात समान त्रिज्या के ठोस तथा खोखले गोले समान आवेश धारण करते है ।
साबुन का बुलबुला आवेशित होने पर फैलता है क्युकी सतह के ऊपर समान आवेशों के मध्य प्रतिकर्षण होने के कारण बुलबुले की सतह का क्षेत्रफल बढ़ता है ।
मात्रक एवं विमीय सूत्र ( Unit and
Dimensional Formula)
आवेश का SI मात्रक एम्पेयर
X
सेकंड = कूलॉम या कूलम्ब (C)
आवेश का CGS मात्रक - स्थैत कूलॉम ( stat
coulomb) या स्थिर विधुत मात्रक (esu)
आवेश का विधुत चुंबकीय मात्रक= ऐब कूलॉम (ab coulomb)
फ्रेंकलिन आवेश की सबसे छोटी इकाई है जबकि फैराडे सबसे बड़ी
इकाई है ।
1
फैराडे = 96500 कूलॉम
विमीय सूत्र
[Q] = [IT] या [AT]
आवेश के गुण (Properties of Charge )
- आवेश
एक अदिश राशि है ।अतः किसी निकाय का कुल आवेश धनात्मक या ऋणात्मक आवेश के
अनुसार उपर्युक्त चिन्ह लगा कर साधारण योग द्वारा ज्ञात किया जाता है ।
- आवेश
स्थनांतरीय है अर्थात यह एक वस्तु से दूसरे वस्तु की ओर स्थानांतरित हो सकता
है ।
- आवेश
सदैव द्रव्यमान से बद्ध रहता है अर्थात आवेश द्रव्यमान रहित नहीं हो सकता
यदपि द्रव्यमान आवेश रहित हो सकता है ।
- आवेश
संरक्षित होता है अर्थात इसे न तो उत्पन्न किया जा सकता है और न ही नष्ट ।
- यह
आवेशित कण के वेग पर निर्भर नहीं करता है ।
- आवेश का क्वाण्टमीकरण होता है अर्थात किसी वस्तु पर आवेश का मान मूल आवेश e (1 इलेक्ट्रान पर आवेश) का पूर्ण गुणक होता है
आवेशन की विधियाँ (Method of charging)
1. घर्षण द्वारा
दो वस्तुओं को आपस में रगड़ने से इनके मध्य इलेक्ट्रॉनों के
स्थानांतरण के कारण , ये वस्तुएँ आवेशित हो जाती है
।दोनों वस्तुओं पर बराबर तथा विपरीत प्रकार के आवेश उत्पन्न होते है ।
(i) जब एक कांच की छड़ को रेशम के कपड़े से रगड़ा जाता है तो छड़ धनात्मक एवं रेशम का
कपड़ा ऋणात्मक हो जाता है
(ii) एबोनाइट की छड़ को ऊन से रगड़ने पर छड़ ऋणावेशित तथा ऊन धनावेशित हो जाती है
2. चालन द्वारा
किसी आवेशित चालक को किसी अनावेशित
चालक के सम्पर्क में लाने पर, दोनों चालकों पर समान प्रकृति का
आवेश फ़ैल जाता है ।
3. स्थिर विधुत प्रेरण द्वारा
यदि एक आवेशित वस्तु को किसी
अनावेशित वस्तु के समीप लाएं तो अनावेशित वस्तु की पास वाली सतह पर विपरीत प्रकृति
का आवेश एवं दूर वाली सतह पर समान प्रकृति का आवेश उत्पन्न हो जाता है । इस घटना
को स्थिर विधुत प्रेरण कहा जाता है ।
विधुतदर्शी (Electroscope)की सहायता से किसी वस्तु पर आवेश की उपस्थिति को ज्ञात किया जाता है ।
बिंदु आवेश (Point Charge )
यदि आवेशित वस्तुओं का आकार उनके
बीच की दूरी के तुलना में बहुत कम होता है तो हम उन्हें बिंदु आवेश मानते है ।
समान प्रकृति के आवेश एक दूसरे को
विकर्षित तथा विपरीत प्रकृति के आवेश एक दूसरे को आकर्षित करते है ।
दो बिंदु आवेशों के बीच लगने वाला
आकर्षण या विकर्षण बल दोनों आवेशों के परिमाण के गुणनफल के समानुपाती तथा उनके बीच
की दूरी के वर्ग का व्युत्क्रमानुपाती होता है ।
यह बल हमेशा दोनों आवेशों को
मिलाने वाली रेखा के अनुदिश कार्य करता है ।
CGS पद्धति में (वायु या निर्वात के लिए )
K= 1
SI पद्धति में (वायु या निर्वात के लिए )
जब दोनों आवेशों को किसी माध्यम में रखा गया हो तो
,
अर्थात, किसी माध्यम की विधुतशीलता तथा हवा या निर्वात की विधुतशीलता के अनुपात को आपेक्षिक विधुतशीलता कहते है ।
अतः माध्यम में दो आवेशों के मध्य लगने वाला स्थिरविधुत बल
निर्वात तथा माध्यम में उपस्थित
बिंदु आवेशों के बीच लगने वाले स्थिरविधुत बलों का अनुपात माध्यम के परावैधुतांक
के बराबर होता है ।
निर्वात / हवा के लिए – 1
पानी के लिए – 80
धातु के लिए - अनंत
दो बिंदु आवेशों के मध्य लगने वाले
स्थिरविधुत बल की दिशा बताने के लिए कूलॉम नियम को सदिश रूप में प्रदर्शित किया
जाता है
अध्यारोपण का सिद्धांत
इस सिद्धांत के अनुसार किसी आवेश पर कई आवेशों कई कारण लगाये गए बलों का परिणामी इन बलों के सदिश योग के तुल्य होता है ।
आवेश वितरण (Distribution
of Charge )
यह दो प्रकार का होता है
(1) असतत वितरण (Discrete Distribution)
(2) सतत आवेश वितरण (Continuous charge Distribution)
असतत वितरण
किसी स्थान पर जब अनेक बिंदु आवेश
विभिन्न बिंदुओं पर पर स्थित होते है तब आवेश के ऐसे वितरण को असतत वितरण कहा जाता
है ।
सतत आवेश वितरण
यदि किसी वस्तु पर आवेश एक समान
रूप से वितरित रहता है तो इसे सतत आवेश वितरण कहते है ।
यह वितरण निम्न तीन प्रकार का होता
है
(i)
रेखीय आवेश वितरण (Linear charge
distribution)
(ii)
पृष्ठीय आवेश वितरण (Surface
charge distribution)
(iii)
आयतन आवेश वितरण (Volume
charge distribution)
रेखीय आवेश वितरण (Linear charge
distribution)
यदि आवेश किसी रेखीय वस्तु पर एक
समान रूप से वितरित हो तब यह रेखीय आवेश वितरण कहलाता है । जैसे - आवेशित सीधा तार,आवेशित वृतीय वलय
इकाई लम्बाई में उपस्थित आवेश को
उस तार का रेखीय आवेश घनत्व (Linear charge density) कहते है ।
पृष्ठीय आवेश वितरण (Surface
charge distribution)
यदि आवेश किसी सतह पर एक समान रूप
से वितरित हो, तब यह पृष्ठीय आवेश वितरण कहलाता
है ।
जैसे - समतल आवेशित चादर , आवेशित चालक गोला , आवेशित चालक बेलन
इकाई क्षेत्रफल में उपस्थित आवेश
को उस वस्तु का पृष्ठीय आवेश घनत्व कहते है |
विधुत क्षेत्र
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