परावर्तक दूरदर्शी में अभिदृश्यक लेंस के स्थान पर बड़े द्वारक का अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है ।इस दूरदर्शी में परावर्तन के द्वारा प्रतिबिम्ब प्राप्त होता है ।
परावर्तक दूरदर्शी मुख्यतः दो प्रकार के होते है
इसमें बड़े द्वारक के अवतल दर्पण का प्रयोग किया जाता है जिसके केंद्र में एक वृताकार छिद्र होता है ।एक छोटे उत्तल दर्पण को दूरदर्शी के अभिदृश्यक दर्पण के आगे रखा जाता है ।अंतिम प्रतिबिम्ब को अभिदृश्यक दर्पण के छिद्र के सामने रखे अभिनेत्र लेंस में से देखा जाता है
जब दूरस्थ वस्तु से आने वाली प्रकाश की समान्तर किरण का पुंज अभिदृश्यक दर्पण पर गिरता है तो यह इसे मुख्य फोकस पर अभिसरित कर देता है ।परावर्तित प्रकाश पुंज उत्तल दर्पण पर आपतित होता है ।उत्तल दर्पण द्वारा एक उल्टा प्रतिबिम्ब बनता है जिसे अभिनेत्र लेंस में से देखा जाता है ।
न्यूटोनियन दूरदर्शी (Newtonian Telescope)
इस दूरदर्शी में एक अधिक फोकस दूरी एवं बड़े द्वारक का अवतल दर्पण होता है जिसे अभिदृश्यक दर्पण कहते है ।इस दर्पण को एक धात्विक नली के एक सिरे पर स्थापित किया जाता है जिसका दूसरा सिरा खुला होता है ।एक समतल दपण को नली की अक्ष से 45° के कोण पर स्थापित किया जाता है ।अंतिम प्रतिबिम्ब को नली के एक सिरे पर स्थापित किये गए अभिनेत्र लेंस से देखा जाता है ।
क्रियाविधि
किसी दूरस्थ वस्तु से प्रकाश का समान्तर किरण पुंज अभिदृश्यक दर्पण पर आपतित होता है ।अवतल दर्पण से परावर्तित प्रकाश समतल दर्पण पर आपतित होता है ।समतल दर्पण द्वारा प्राप्त प्रतिबिम्ब को अभिनेत्र लेंस द्वारा आवर्धित कर देखा जाता है ।
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